बमनगांव: उत्तराखंड का पहला सोलर ऊर्जा से रोशन गांव
उत्तराखंड की हसीन वादियों में बसे कई छोटे-छोटे गांव अपने सांस्कृतिक धरोहर के लिए मशहूर हैं। लेकिन एक गांव ने हाल ही में कुछ ऐसा किया है जिससे वह एक मिसाल बन गया है। हम बात कर रहे हैं बमनगांव की, जो उत्तराखंड का पहला पूरी तरह से सौर ऊर्जा (Solar Power) से संचालित गांव बन चुका है। इस गांव ने न केवल अपने ऊर्जा संकट का समाधान किया, बल्कि अन्य गांवों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत भी बन गया है।
बमनगांव की भौगोलिक पहचान
स्थान: बमनगांव, जौनसार-बावर क्षेत्र, देहरादून जिला।
जलवायु: पहाड़ी इलाका, जहां सर्दियों में तापमान काफी गिर जाता है।
जनसंख्या: करीब 150 घरों का यह गांव अब सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से आत्मनिर्भर हो गया है।
बमनगांव: सौर ऊर्जा के माध्यम से आत्मनिर्भरता की ओर
पहले इस गांव में बिजली की भारी कमी रहती थी। ग्रामीणों को अंधेरे में रहना पड़ता था और मिट्टी के तेल (Kerosene) के लैंप का सहारा लेना पड़ता था, जिससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता था। लेकिन सरकार और कुछ गैर-सरकारी संगठनों की मदद से गांव ने सोलर पैनल्स का इस्तेमाल करना शुरू किया।
प्रमुख योजनाएं:
दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत सोलर पैनल्स लगाए गए।
हर घर में सोलर बैटरी और इनवर्टर की सुविधा प्रदान की गई।
राज्य सरकार ने अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सोलर पावर ग्रिड स्थापित किए।
सौर ऊर्जा के फायदे जो बदले गांव का भविष्य
सौर ऊर्जा के इस व्यापक इस्तेमाल से बमनगांव को कई लाभ हुए हैं:
1. निरंतर बिजली की उपलब्धता:
अब यहां 24 घंटे बिजली उपलब्ध है।
पढ़ाई और व्यवसायिक गतिविधियों में सुधार हुआ है।
2. स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर:
मिट्टी के तेल से होने वाले धुएं से मुक्ति मिली।
वातावरण स्वच्छ और सुरक्षित हो गया है।
3. आर्थिक बचत:
बिजली के बिल से ग्रामीणों को राहत मिली।
सोलर पैनल्स के कारण बिजली का खर्च न के बराबर है।
4. महिलाओं के सशक्तिकरण में योगदान:
महिलाओं ने घर के छोटे-छोटे व्यवसाय शुरू किए हैं।
बेहतर रोशनी से हस्तशिल्प और सिलाई जैसी गतिविधियों में बढ़ावा मिला है।
बमनगांव: एक प्रेरणा का स्रोत
बमनगांव ने यह साबित कर दिया है कि सही नीतियों और प्रयासों से गांव भी आत्मनिर्भर और आधुनिक हो सकते हैं। सौर ऊर्जा के प्रयोग ने इस गांव को न केवल रोशन किया, बल्कि एक नई दिशा दी है।
अन्य गांवों के लिए उदाहरण:
उत्तराखंड के कई अन्य दूरदराज गांव अब बमनगांव के मॉडल को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं।
सोलर पैनल्स का उपयोग करके ऊर्जा संकट का समाधान किया जा सकता है।