Hemp in Uttrakhand Himalayas
Hemp In Uttrakhand Himalayas |
पहाड़ी युवाओं के जीवन में आज कठोर परिश्रम से ज़्यादा नशे का धुँआ पीने की हिम्मत दिखाई देती है। छोटे - छोटे स्कूली बच्चों का रुझान शिक्षा ग्रहण करने के उद्देश्य की ओर न होकर नशे ओर गैरकानूनी गतिविधियों में बढ़ रहा है आखिर क्यों ऐसे हालात बन गए हैं कि छोटे बच्चों का भी नशे का आदी होना आम बात हो गयी है। पुराने समय के लोगों के अनुसार पहाड़ों में एक समय में भांग की खेती की जाती थी तथा इसे किसी खास प्रकार के उत्सवों में बनाये जाने वाले पकवानों में सम्मिलित किया जाता था यद्यपि तब यह एक स्तर पर केवल मनोरंजन का साधन बनकर निकला था लेकिन अब यह युवाओं की जीवनशैली में समायोजित कृत्य की तरह से बढ़ने लगा है यही कारण है कि आज पहाड़ जैसे जीवन को जीने वाले नवयुवकों को यह नशे की प्रवृत्ति अपनी तरफ आकर्षित कर रही है। जिन नवयुवकों का श्रेय देश व मातृभूमि के लिए अपना फर्ज अदा करना होना चाहिए था वह नशेड़ी बनकर समाज मे अराजकता फैलाने के कार्य कर रहे हैं। यहाँ तक कि स्कूल कॉलेजों में पड़ने वाले युवाओं में भी स्मैक के नशे में डूबे होने के लक्षण दिखाई देते हैं। इसकी चपेट में आने से न जाने कितने घरों ने अपने कुलदीपकों को नशे की भेंट चढ़ा दिया है और कुछ बच्चें तो नशे की आदत लगने से मानसिक तनाव जैसी गम्भीर समस्याओं को समर्पित हो रहे हैं।
सही रास्ता कोई दिखाता नहीं या खुद रास्ता बनाने की जिद में गलत रास्ता पकड़ लेते है बच्चे ?
यह कहना अतिश्योक्ति पूर्ण नही होगा कि पहाड़ों का भविष्य अपनी राह से डगमगा रहा है। नशे की लत के चलते आजकल के बच्चे किशोरावस्था में ही गलत आदतों के शिकार हो रहे हैं। लेकिन प्रश्न यह उठता की आखिर कहाँ से इन युवाओं को चरस और स्मैक उपलब्ध हो रही हैं क्यों ओर किस तरह यह युवाओं को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। इसके कारणों का अध्ययन किया जाय तो कुछ आकड़े यह बताते हैं कि परिपक्व युवाओं की अपेक्षा किशोरावस्था के दौरान बच्चे इस तरफ अधिक अग्रसर हो रहें हैं। यूं तो सरकार द्वारा समय - समय पर कई अभियान चलाए जा रहे हैं परन्तु इन सभी क्रियाकलापों का कोई खास परिणाम देखने को नही मिलता। आंखिर किस प्रकार युवा स्मैक ओर चरस जैसे नशे युक्त पदार्थों को प्राप्त कर रहे हैं कौन युवाओं को इन चीज़ों को उपलब्ध करा रहा है देखा जाय तो इन साधनों तक पहुंचने में कहीं न कहीं आस पास का परिवेश भी जिम्मेदार है क्योंकि वर्तमान की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में सही मार्गदर्शन की कमी और भविष्य को लेकर चिंता भी काफी हद तक युवाओं को तनाव और नशे की तरफ झोंक रही है। यहां तक कि दिखावे और भ्रमित करने वाले वातावरण से भी पहाड़ी युवाओं में यह बहुतायत देखने को मिल रहा है कि युवा अपने लक्ष्य से भटककर चरस और स्मैक की लत पाल रहे हैं। इसके ही कारण पहाड़ में युवा नशे के रुप में मृत्यु को गले लगा रहे हैं। भांग को भोले के साथ जोड़ कर खुद की कमियों को पोलिस कर रहे है भोले शंकर के अन्य गुणों का बखान न जानकर अपनी कमजोरियों को फ्रेम किया जा रहा है।
उम्र और अक्ल की भेंट नहीं होती।
कहते है उम्र और अक्ल की भेंट नहीं होती मतलब सही उम्र में सही समझ नहीं आती या बिना चोट खाये इंसान सीखता नहीं। युवाओं में चरस और स्मैक को बढ़ावा देने में समकालीन परिस्थितियों का भी बहुत बड़ा योगदान है क्योंकि इसे अपनाने का एक कारण युवा पीढ़ी में घटते आत्मविश्वास का स्तर भी है जो जीवन के सही मूल्यों को विलुप्ति की ले जाकर पहाड़ के भोलेभाले युवाओं में नशे जैसे भयानक इल्म को जन्म दे देते हैं। जिसमें वह अपने प्राथमिक कर्तव्यों को भूलकर नशे और स्मैक की दुनियां में खो रहे हैं। और उन्हें यह भी प्रतीत नही होता है कि वे जिस अंधकार में गुम हो रहे हैं वहाँ से निकलने का रास्ता मिलना कितना कठिन होगा। इससे निकलने के प्रयासों की बात की जाय तो युवाओं को सही पथप्रदर्शक की अथाह आवश्यकता है क्योंकि बिना पथप्रदर्शक के जीवन में सभी रास्ते अंधकारमय गुफाओं के समान हैं जिनमे जाने की मोहरी तो है परन्तु बाहर निकलने का कोई विकल्प प्रदर्शित नही होता युवाओं में बढ़ता नशा भी उसी गुफा का एक भाग है जो अदृश्य है किंतु मृत्यु की तरफ खींचकर ले जाता है। और जब सच्चाई का पता चलता है तो वापस सही रस्ते पर आना बहुत मुश्किल हो जाता है।
घर की सफाई खुद ही करनी पड़ती है।
सामाजिक तौर पर इस विषय पर चर्चा मात्र से कुछ नही होने वाला इस पहल को युवाओं के पारिवारिक स्थल से लेकर कार्यस्थल तक लेकर जाना होगा क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की प्रथम पाठशाला उसका घर ही होता है जहाँ वह न केवल आचरण और सदव्यवहार सीखता है इसके अलावा भी कई ऐसी जानकारियां हैं जो माता पिता अपने बच्चों को दे सकते हैं। और यह देखा भी जाता है कि बच्चों में बाहर के लोगों की अपेक्षा अपने परिवार के लोगों में अधिक विश्वास होता है जिसके तहत वह उनकी बातों को सुनने के साथ मनन भी करते हैं। इसके साथ ही परिजनों को बच्चे के व्यवहार में होने वाले परिवर्तनों पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है जिससे कि उनसे जुड़े सही गलत तथ्यों का आसानी से पता लगाया जा सके। अनजान लोगों के द्वारा दी हुई चीज़ों के विषय मे बताने को लेकर भी बच्चों को सतर्क रहने को कहा जाना चाहिये जिससे कि अनजाने में बच्चा इस तरफ न जा पाये। कुछ दिवसीय कार्यक्रमों में न सीमित होकर खुलकर इस विषय मे युवाओं से बात करनी होगी और उनके विचारों पर उन्हें मार्गदर्शन देना होगा। इसके साथ ही विद्यालयी स्तर पर बच्चों को खुद इस विषय पर वाद - विवाद में शामिल किया जाय तो और बेहतर होगा । साथ ही कुछ-कुछ अंतराल में बच्चों को भविष्य संबंधित रोचक जानकारीयों में हिस्सेदारी करवाई जाय तो यह भी बेहतर होगा। इसके साथ ही वे लोग जो इस तरफ युवाओं को धकेलते हैं उन पर भी अगर प्रसाशन द्वारा चौकसी कसी जाय तो युवाओं को बचाया जा सकता है। साथ ही इन चीज़ों के व्यापार पर भी पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया जाय। और यदि ग़ैरकानूनी तरीके से यदि इनको कोई बेचता या युवाओं को इस तरफ़ आने का लालच देता है तो ऐसे व्यक्ति पर भी कड़ी कार्यवाही की जाय ताकि समाज मे ऐसे अराजकतत्वों को पैदा करने वालों का नाम ही खत्म हो जाय और हमारे पहाड़ के युवाओं को एक स्वस्थ और स्वच्छ समाज प्राप्त हो सकें।
Hemp In Uttrakhand Himalayas
Reviewed by From the hills
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August 17, 2019
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