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Lok Katha- ठेकवा-ठेकवी की कहानी।।

Lok Katha- ठेकवा-ठेकवी की कहानी।।


दोस्तो ये कहानी बचपन में मैंने अपनी माँ से सुनी थी,शायद ये एक कुमाऊँनी लोककथा है दोस्तों अगर आप लोगों ने भी यह कहानी सुनी हो तो अवश्य ही अपनी ओर से प्रतिक्रिया दीजियेगा।

कहानी इस प्रकार है कि एक गाँव में एक पति पत्नी का जोड़ा रहता था। पति का नाम ठेकवा था और पत्नी का नाम था ठेकवी,दोनों अपनी वयस्त दिनचर्या व मेहनत चाकरी से खुश थे पर समय अंतराल में दोनों अपने अजीब से नाम से ऊब गए,और दोनों ने ही यह निश्चय किया की वह अपना अपना नाम बदल लेंगे।
इस निर्णय के बाद अगले दिन ही ठेकवी ने अपने पति ठेकवा से कहा की आप शहर जाओ और अपने लिए और मेरे लिए कुछ अच्छे नाम ढूंढ कर लाओ,ठेकवा भी अच्छे नामों की खोज में निकल पड़ता है और गाँव से दूर शहर पहुँचते ही देखता है की शहर के मुख्य द्वार पर एक चिंतित सी खूबसूरत स्त्री झाड़ू लगा रही है ठेकवा उत्सुकता वश उस स्त्री का नाम व चिंता का कारण पूछता है तो वह स्त्री अपना नाम लक्ष्मी बताती है और अपने कार्य को अपने चिंतित होने का कारण बताती है, इसके बाद ठेकवा शहर के भीतर प्रवेश करता है और एक भव्य मंदिर के पास पहुँचता है जहाँ उसकी मुलाकात एक हस्टपुष्ट युवक से होती है जो मंदिर के बाहर भीख मांग रहा था, नाम पूछने पर वह युवक अपना नाम धनपति बताता है, तत्पश्चात ठेकवा अपने ही विचारों में उलझा हुआ मंदिर से गुजरते हुए एक घाट के समीप पहुँचता है वहाँ वह देखता है की कुछ लोग कंधे के सहारे किसी मृत व्यक्ति को अंतिम संस्कार के लिए लाये हैं लोगों से उसे पता चलता है कि मरने वाले व्यक्ति का नाम अमर सिंह था,ठेकवा उस व्यक्ति का अंतिम संस्कार देख कर व्याकुल हो जाता है और चिंतन मंतन करते हुए वापिस अपने गॉव की और चला जाता है।

थका हारा ठेकवा जब अपने घर पहुँचता है तो उसकी पत्नी बड़ी ही उत्सुकता से उस से पूछती है कि क्या नाम है जो आप पता कर के आये हो शहर से?
ठेकवा झल्लाते हुए जवाब देता है,,
लक्ष्मी जैसी झाड़ू लगाये,
धनपति मांगे भीख,
अमर सिंह जैसे मर गये,
ठेकवा ठेकवी ठीक।

ठेकवी अपने पति के इस व्यवहार से आहत हो जाती है और समझ नही पाती की ठेकवा आखिर ऐसा क्यों बोल रहा है? इतने में ही ठेकवा भी भाँप जाता है कि उसके व्यवहार से ठेकवी आहत हुई है और स्थिति को सम्हालते हुए प्रेम से उसे पूरे दिन की घटना बताता है और नाम व काम के असली महत्व को समझते हुए अन्त में दोनों ही फिर कभी नाम न बदलने का निर्णय लेते हैं।

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